रेल मंत्रालय का नया फरमान, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस होंगे वापस
अंबाला :- केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का किसानों ने जमकर विरोध किया. नए कृषि कानून को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के द्वारा Railway ट्रैक पर बैठकर लगभग 378 दिन तक विरोध प्रदर्शन किया गया था, इसके बाद सरकार ने कृषि कानून को वापस ले लिया था. किसानों द्वारा किए गए इस आंदोलन की वजह से Railway ट्रैक बाधित हुआ जिस वजह से सरकार को लाखों- अरबों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ा.
कृषि कानून का किसानों ने किया जमकर विरोध
नए कृषि कानून के खिलाफ 24 September 2020 से 12 September 2021 तक किए जा रहे प्रदर्शन के दौरान Railway ट्रैक बाधित करने के आरोप में करीब 163 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. अब Rail मंत्रालय ने सभी मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. रेल मंत्रालय के आदेश जारी होते ही जब उत्तर रेलवे (NR) के अलग-अलग मंडलों में दर्ज मुकदमों को खंगाला गया तों कुल 163 मुकदमों में से फिरोजपुर में 62 और अंबाला में 71 मामले दर्ज किए गए थे.
आंदोलन के दौरान 163 किसानों पर हुआ मुकदमा दर्ज
किसानों द्वारा किए गए आंदोलन के दौरान लाखों रेल की टिकटे रद्द की गई, और माल ढुलाई का कार्य भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ. पूरे देश में 1212 स्थानों पर धरने दिए गए, और करीब 2200 करोड रुपए का नुकसान हुआ. रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने किसान नेताओं को इस आंदोलन का आरोपी बनाया था, परंतु किसान नेताओं की गिरफ्तारी नहीं हुई थी. Railway ट्रैक बाधित करने वालों के खिलाफ RPF जवान धारा 174 के तहत मामला दर्ज करते है, और अपराधी को 2000 रुपए जुर्माना या 2 साल की सजा भुगतनी पड़ती है.
रेलवें मंत्रालय ने वापस लिया मुकदमा
इसके अलावा रेल में यदि कोई जबरदस्ती घुसता है तो धारा 146, 147 के तहत कार्यवाही की जाती है, और अपराधी को 1000 रुपए जुर्माना या 6 महीने की जेल की सजा होती है. NR के महाप्रबंधक आशुतोष गांगल ने बताया कि Railway ने किसानों के विरुद्ध दर्ज किए गए थे. मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया है. इन मुकदमों को वापस लेने की Railway ने प्रक्रिया शुरू कर दी है.